पुष्कर


                                                                                      पुष्कर  


जयपुर के दक्षिण पश्चिम में स्थित अजमेर हिन्दू-मुस्लिम धर्म का संगम स्थल रहा है। अजमेर हिन्दू तीर्थ यात्रियों में उतना ही लोकप्रिय है जितना कि मुसलमानों में। अजमेर से मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुष्कर मंदिर और झीलों के लिए प्रसिद्घ है। अरावली पर्वत श्रृंखला का नाग पर्वत अजमेर और पुष्कर को अलग करता है।

यह भगवान ब्रह्मा के एकमात्र मंदिर के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। इसे भगवान ब्रह्मा का निवास स्थान भी कहा जाता है। मन्दिर के बगल में ही एक मनोहर झील है जिसे पुष्कर झील के नाम से जाना जाता है। पुष्कर झील हिन्दुओं एक परमपावन स्थान के रूप में जानी जाती है। कार्तिक (अक्टूबर/नवंबर) के महीने में श्रद्घालु बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर इस पवित्र झील में डुबकी लगाते हैं।



धार्मिक मान्यता

हिन्दू श्रद्घालुओं के लिए पुष्कर बहुत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में  एक बार पुष्कर की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। पुष्कर हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थो में से एक है। इसका बनारस या प्रयाग की तरह ही महत्व है। बद्रीनारायण, जगन्नाथ, रामेश्वरम, द्वारका इन चार धामों की यात्रा करने वाले किसी तीर्थयात्री की यात्रा तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक वह पुष्कर के पवित्र जल में स्नान नहीं कर लेता।

पौराणिक कथा

हिन्दू धर्म ग्रन्थों के अनुसार भगवान ब्रह्मा त्रिदेवों में से एक देव हैं। तीनों देवों का कार्य ,जीवन चक्र (जन्म,पालन,विनाश) के आधार पर विभाजित है। ब्रह्मा जी का कार्य जन्म देना है। ब्रह्मा जी को दाढ़ीयुक्त चार सिरों वाला ,जिसके चार हाथ हैं, के रूप में चित्रित किया गया है।

ब्रह्मा जी के प्रत्येक हाथ में वेद (ज्ञान) हैं। बह्मा जी का वाहन हंस है। एक बार भगवान ब्रह्मा पवित्र उद्देश्य के लिए यज्ञ करने का निश्चय किया। यह यज्ञ वह सबसे शुभ समय पर करना चाहते थे। किन्तु उनकी पत्नी सरस्वती, जिनका यज्ञ के समय रहना अत्यावश्यक था, ने उन्हें इन्तजार करने को कहा।



इससे झुंझलाकर ब्रह्मा जी ने गायत्री जो कि एक ग्वालिन थी, से विवाह कर उन्हें यज्ञ में बैठा दिया। सरस्वती जी ने जब अपने स्थान पर दूसरे को देखा तो वे क्रोध से भर गयी। उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि पृथ्वी के लोग उन्हें भुला देंगे और कभी पूजा नहीं होगी। किन्तु अन्य देवताओं की प्रार्थना पर वो पिघल गयी और कहा कि ब्रह्मा जी केवल पुष्कर में पूजे जाएंगे। इसी कारण यहाँ के अलावा और कहीं भी ब्रह्माजी का मंदिर नहीं है।

पुष्कर का अर्थ

विद्वानों के अनुसार पुष्कर का अर्थ है ऐसा तालाब जिसका निर्माण फूल से हुआ। पद्म पुराण के अनुसार पुष्कर झील का निर्माण उस समय हुआ जब यज्ञ के स्थान को सुनिश्चित करते समय ब्रह्मा जी के हाथ से कमल का फूल पृथ्वी पर गिर पड़ा। इससे पानी की तीन बूदें पृथ्वी पर गिर गयी, जिसमें एक बूंद पुष्कर में गिर गयी। इसी बूंद से पुष्कर झील का निर्माण हुआ।

ब्रह्मा मंदिर

चमक दमक से युक्त पुष्कर कस्बा धार्मिक मिथों और विश्वासों से भरा है। यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण ब्रह्माजी का मंदिर है। मंदिर का निर्माण संगमरमर पत्थर से हुआ है तथा इसे चाँदी के सिक्कों से सजाया गया है। इन चाँदी के सिक्कों पर दानदाता के नाम भी खुदे हुए हैं।

इसके अलावा मंदिर के दीवालों पर भी दानदाताओं के नाम लिखे हैं। यहाँ मंदिर के फर्श पर एक रजत कछुआ है। ज्ञान की देवी सरस्वती के वाहन मोर के चित्र भी मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं। यहां गायत्री देवी की एक छोटी प्रतिमा और किनारे ब्रह्माजी की चार मुखों वाली मूर्ति को चौमूर्ति कहा जाता है।

इस पवित्र मंदिर का प्रवेश द्वार संगमरमर का और दरवाजे चांदी के बने हैं। यहां भगवान शिव को समर्पित एक छोटी गुफा भी बनी है।


पुष्कर झील

पुष्कर झील अपनी पवित्रता और सुंदरता के लिए पूरे विश्व में जानी जाती है। ऐसा मान्यता है कि पुष्कर झील उतना ही पुराना है जितना कि सृष्टि और तीर्थयात्रा के रूप में यह अत्यंत प्राचीन काल से ही जाना जाता है।

इस झील में नहाने के लिए के लिए 52 घाट बने हुए हैं जहां दिल में गहरी धार्मिक आस्था लिए श्रद्घालु डुबकी लगाते हैं। पुष्कर समय के झंझावातों में सदैव खड़ा रहा है। यह भगवान राम के समय से लेकर अब तक बदलते इतिहास का शांत गवाह है। इसका उल्लेख चौथी शताब्दी में आये चीनी यात्री फाह्यान ने भी किया है।

पुष्कर मेला

पुष्कर मेला, ऊंट मेला के लिए जाना जाता हैं। यह भारत के सबसे बड़े मेलों में से एक है और अपनी तरह का विश्व में अकेला है। मेले के दौरान भारत के ग्रामीण क्षेत्रों से लाखों लोग अपने ऊटों और अन्य पशुओं के साथ यहाँ कई दिनों तक रहकर तीर्थयात्राओं और धार्मिक उत्सवों में अपना व्यापार करते हैं। मेले के दौरान यह छोटा कस्बा अद्भुत सांस्कृतिक छटा बिखेरने लगता है।

इस समय रंग-बिरंगे कपड़े पहने श्रद्घालु, जादूगर, कलाबाज, लोक नर्तक, व्यापारी, भांड, साधू, पर्यटक यहां पहुंचते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार कार्तिक महीने के अष्टमी के दिन मेला शुरू होकर पूर्णिमा के दिन तक चलता है। मेले के पहले भाग में पशुओं के व्यापार पर जोर रहता है तो दूसरे भाग में धार्मिक गतिविधियों पर जोर रहता है। इस समय श्रद्घालु पवित्र झील के जल में डूबकी लगाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि इस जल में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मेले में ऊटों, पशुओं ,महिलाओं के श्रृंगार के सभी सामान एक ही जगह पर बिकते हैं। हाथों से बने छोटे सामान यादगार के लिए खरीदना सबसे अच्छा होता है। ऊटों और घोड़ो की दौड़ को जनता खूब प्रोत्साहित करती है।

ऊटों की दौड़ पशु प्रमियों में खूब लोकप्रिय है। प्रत्येक शाम को यहां अलग-अलग राजस्थानी लोक नृत्य और संगीत का आयोजन किया जाता है। जिसमें खूब भीड़ उमड़ती है। इस मेले का अपना जादू है जो यात्रायों के जीवन भर का अनुभव बन जाता है। मेले के दौरान शिल्पग्राम द्वारा कला और शिल्प की प्रदर्शनी लगायी जाती है।

भारत के पवित्र स्थल


 Sacred Sites of India

·         Amarnath Cave, Kashmir
·         Buddhist Pilgrimage in India
·         The Golden Temple, Amritsar
·         Muruga Shrines of South India

Comments

  1. If you're attempting to lose weight then you certainly need to jump on this totally brand new custom keto meal plan diet.

    To create this service, licensed nutritionists, personal trainers, and top chefs united to produce keto meal plans that are useful, suitable, economically-efficient, and enjoyable.

    Since their launch in January 2019, 1000's of people have already transformed their body and health with the benefits a professional keto meal plan diet can give.

    Speaking of benefits; clicking this link, you'll discover eight scientifically-certified ones given by the keto meal plan diet.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Willong Khullen Manipur

Dakshineswar Kali Temple

Pilgrims on the Ganges River, Banaras, India